रूड़की/मंगलौर।इस्लाम के पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के पवित्र बाल मुबारक की जियारत मंगलौर के मोहल्ला किला में काजी मरगूब के मकान पर परम्परागत तरीके से सैयद जमाल काजमी ने अकीदतमंदों को कराई।सैकड़ों अकीदतमंदों ने कलमा और दरूद शरीफ के साथ मोहम्मद साहब के दाढ़ी के बाल मुबारक के दर्शन करते हुए देश में अमन और सलामती की दुआएं मांगी।काजी जमाल ने बताया कि लगभग 750 वर्षों से ये पवित्र बाल मुबारक उनके परिवार में है,जिसकी जियारत तब से बिना रूके निरंतर होती आ रही है।अंतरराष्ट्रीय शायर व लेखक अफजल मंगलौरी ने बताया कि इतिहासकार “फिरदौसी” के “शाहनामा” के अनुसार दिल्ली सल्तनत के वंश के नौंवे सुल्तान गयासुद्दीन बलबन (1266-1284) की पौत्री का विवाह मंगलौर के जमीदार काजमी परिवार में हुई थी,उनको तोहफे के तौर पर बादशाह बलबन ने मोहम्मद साहब का पवित्र बाल,हजरत अली का पवित्र बाल,हजरत गौसे आजम बगदादी का बाल और हजरत इमाम मूसा काजिम के हाथ का लिखा हुआ कुरान शरीफ भेंट किया था।उन्होंने बताया कि केवल रमजिन के आखरी जुमा को ही इन बाल मुबारक की जियारत कराई जाती है।इस मौके पर अताये हुसैन फहद काजमी साबरी,अमजद काजमी,जावेद काजमी,अलीम काजमी,फुजैल काजमी,अमजद उस्मानी,आरिफ नियाजी,शाह विकार चिश्ती,डॉ०मोहसिन,आदिल काजमी,कलीम फारुकी,रहमान कुरैशी आदि मौजूद रहे,इसके अलावा पूर्व विधायक काजी निज़ामुद्दीन के निवा
स पर जुमा की नमाज के बाद उनके परदादा काजी अब्दुल गनी को अरब से तोहफे में मिले काबा शरीफ के गिलाफ की जियारत भी कराई गई।इस अवसर पर काजी नूरुद्दीन,शुजात उस्मानी,कालू सलमानी,तौकीर सिद्दीकी, शारिक सुल्तान आदि मौजूद रहे।

                        







                
                
                
                