रुड़की।ऋषिकेश इंटरनेशनल स्कूल के वार्षिकोत्सव में शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से सम्मान प्राप्त करने पर युवा भाजपा नेता एवं फोनिक्स यूनिवर्सिटी के चेयरमैन इंजीनियर चैरब जैन ने कहा कि मेरे लिए ये अत्यंत गर्व का क्षण है।इंजीनियर चैरब जैन लंबे समय से राजनीतिक व समाज सेवा में ही नहीं,बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी अलख जगा रहे हैं।एक तरफ जहां उनकी यूनिवर्सिटी से क्षेत्र ही नहीं,बल्कि पूरे देश भर के युवाओं को बेहतर शिक्षा दी जा रही है,वहीं शिक्षा के प्रचार प्रसार में भी इंजीनियर चैरब जैन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।ऋषिकेश में हुए भव्य कार्यक्रम में इंजीनियर चैरब जैन को शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए महत्वपूर्ण योगदान हेतु सम्मानित करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी प्राप्त करना नहीं,बल्कि चरित्र निर्माण,राष्ट्र निर्माण और मानवता के उत्थान के मूल्यों को जीवन में उतारना भी है।इसी भावना के साथ हम विद्यार्थियों को किताबों से आगे बढ़ाकर,नैतिक मूल्यों, अनुशासन,संवेदनशीलता और रचनात्मक सोच से समृद्ध बना रहे हैं।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने युवाओं को व्यावहारिक ज्ञान से जोड़ने के उद्देश्य से प्रतिष्ठित कंपनियों के साथ इंटर्नशिप,स्किल ट्रेनिंग और करियर एक्सपोजर जैसे अवसरों की भी घोषणा की,जिससे विद्यार्थियों को नवाचार और स्टार्टअप की दिशा में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।इंजीनियर चेहरा जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा उन्हें सम्मानित किया जाना उनके लिए बड़े गर्व की बात है।उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शिक्षा नीति को लेकर गंभीर है और शिक्षा के प्रचार-प्रसार एवं इसकी बेहतरी के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं,जिससे प्रदेश के युवाओं को बेहतर सुख शिक्षा प्राप्त हो रही है।उन्होंने कहा कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य केवल नौकरी प्राप्त करना ही नहीं,बल्कि परीक्षा में अच्छे अंक लाकर मनुष्य के सर्वांगीण विकास को भी सुनिश्चित करना है।शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति को ज्ञान,चरित्र,नैतिकत मूल्यों और व्यक्तित्व का निर्माण करना होता है,ताकि वह समाज और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियां को समझ सके।उन्होंने शिक्षा के महत्व के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि शिक्षा व्यक्ति को तर्कसंगत सोच प्रदान करती है,इसलिए महत्वपूर्ण है।शि
क्षा के जरिए ही लड़कियां आत्मनिर्भर वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन सकती है।परिवार व समाज को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे सकती हैं।









