रुड़की में नागरिकों का स्वच्छता संकल्प नहर पुल पर जनभागीदारी का गौरवपूर्ण दर्शन रुड़की नगर के वार्ड संख्या 15 में नागरिकों ने गंग नहर पुल पर व्यापक स्वच्छता अभियान चलाकर यह सिद्ध कर दिया कि जब समाज संगठित होता है तो परिवर्तन की राह स्वयं निर्मित हो जाती है।इस पहल में पुरुष और महिलाएँ, युवा और वृद्ध ही नहीं, बल्कि नन्हे बालक–बालिकाएँ भी सम्मिलित हुए। सभी ने अपने श्रम और उत्साह से यह दर्शाया कि धरती हमारी सामूहिक धरोहर है और उसकी रक्षा करना प्रत्येक पीढ़ी का कर्तव्य।

वर्तमान समय में धरती माँ अनेक घावों से आहत है। कभी नदियाँ और नहरें प्लास्टिक तथा अपशिष्ट से दूषित दिखाई देती हैं, तो कभी वायु धुएँ और विषैली गैसों से भरकर हमारी साँसों को विषाक्त कर देती है। भूमि पर रसायनों का बोझ उसकी उर्वरता को नष्ट कर रहा है और शोर का प्रदूषण मानव और पशु–पक्षियों, दोनों के जीवन को असंतुलित बना रहा है।ऐसे समय में महात्मा गांधी का कथन और भी अधिक सार्थक प्रतीत होता है : “स्वच्छता स्वतंत्रता से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है।”

गंग नहर पुल की सफाई केवल कचरे का निस्तारण नहीं थी, बल्कि यह जनचेतना का उत्सव था। वृद्धजन बालकों का मार्गदर्शन कर रहे थे और छोटे हाथ उत्साहपूर्वक प्लास्टिक की थैलियाँ समेट रहे थे। यह दृश्य स्पष्ट कर रहा था कि स्वच्छता का संस्कार हमारी अगली पीढ़ी के मन में गहराई से अंकित हो रहा है। ऋग्वेद का यह वचन “माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः” हमें स्मरण कराता है कि हम केवल पृथ्वी के उपभोक्ता नहीं, बल्कि इसके संरक्षक भी हैं।
 इस अभियान की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि यह किसी आदेश या दबाव का परिणाम नहीं था, बल्कि स्वेच्छा से उपजा नागरिक संकल्प था।इसका संचालन श्रीमती समीक्षा जैन और डॉ सुमिता ऐरन के मार्गदर्शन और विभिन्न पृष्ठभूमियों से आए सम्माननीय एवं बुद्धिजीवी नागरिकों की प्रेरणा से संपन्न हुआ। इस अवसर पर जागरूकता वार्ताएँ आयोजित की गईं, मीडिया ने इस अभियान को सकारात्मक स्वर में कवरेज प्रदान किया और नागरिकों ने स्वच्छता से जुड़े नारे लगाते हुए रैली भी निकाली, जिसने पूरे नगर में प्रेरक वातावरण का संचार किया।

सीए (डॉ) समीक्षा जैन ने अपने उद्बोधन में कहा : “यह स्वच्छता अभियान केवल एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के प्रति एक संदेश है। स्वच्छ पर्यावरण हमें न केवल स्वास्थ्य, बल्कि आत्मिक संतोष और सामंजस्य भी प्रदान करता है। यदि हर नागरिक अपने हिस्से का दायित्व निभाए, तो रुड़की एक आदर्श नगर बन सकता है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता को केवल एक नियम नहीं, संस्कार बताया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा है : “मिशन ऑफ क्लीनलनेस न सिर्फ़ एक दिन का काम है, बल्कि यह आजीवन संस्कार है।” यह विचार इस अभियान से सृजित ऊर्जा और सतत संकल्प से पूरी तरह सामंजस्यपूर्ण दिखाई देता है।
स्वामी विवेकानंद के वाक्य “प्रकृति की सेवा ही मानवता की सच्ची सेवा है” भी इस अवसर पर विशेष प्रभावशाली प्रतीत होते हैं। रुड़कीवासियों ने इस विचार को शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में जीकर सिद्ध किया है।

वार्ड 15 के निवासियों का यह प्रयास केवल स्थानीय स्तर पर नहीं रुकेगा, बल्कि यह पूरे नगर और आने वाले समय के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। यदि प्रत्येक नागरिक यह निश्चय कर ले कि वह अपने परिवेश को स्वच्छ और हरित बनाएगा, तो वह दिन दूर नहीं जब रुड़की ही नहीं, समूचा भारत पुनः उस स्वच्छ और समृद्ध स्वरूप में खड़ा होगा जिसकी कल्पना हमारे महापुरुषों ने की थी।

                        







                
                
                
                