
रुड़की ।बीएसएम पीजी कॉलेज रुड़की के महाविद्यालय में एंटी ड्रग सेल समिति के द्वारा नशा मुक्ति अभियान के अंतर्गत एक व्याख्यान माला का आयोजन किया गया जिसमें हिंदी विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर सीमा गुप्ता ने छात्र-छात्राओं को नशा न करने के लिए जागरूक किया। उन्होंने कहा आज भारत का भविष्य कहे जाने वाले युवा नशे की लत में इतना डूबा जा रहा है कि उन्हें अपना होने का कोई मोल ही मालूम नहीं है यह देश और समाज के लिए बहुत ही चिंतनीय है ।देश का युवा वर्ग आज नशे की गिरफ्त में फंसता जा रहा है ।इसका एक कारण है सहनशक्ति की कमी। युवा आजकल बहुत जल्दी अपना हौसला को देते हैं जिसका परिणाम यह होता है कि वह डिप्रेशन में चले जाते हैं और फिर वह नशे की गिरफ्त में फंस जाते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को हालात से लड़ना सिखाए और उन्हें मजबूत बनाएं। दूसरा बड़ा कारण यह है कि आजकल नशा फैशन बनता चला जा रहा है। गलत संगत में पड़कर नशे को फैशन मान लेना युवा वर्ग की सबसे बड़ी कमजोरी है। दूसरों की देखा देखी भी लोग नशा करने लग जाते हैं। युवा वर्ग की कमजोर सोच का फायदा उठाते हुए नशे के व्यापार में लगे हुए लोग उन्हें नशे के लिए प्रेरित करने लग जाते हैं ।इसके लिए जरूरी है कि युवा अपने आप को मजबूत बनाएं और गलत संगति से बचे। कोई भी परेशानी हो अपने माता-पिता के साथ शेयर जरूर करें।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर डॉक्टर गौतम वीर जी ने महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं को बताया कि नशा एक बीमारी है । उन्होंने छात्र -छात्राओं को नशे की बीमारी से मुक्ति, नशे के बारे में पैदा हुई गलत धारणाओं व नशा प्रयोग करने वाले व्यक्ति के मुख्य लक्षणों आदि की जानकारी विस्तार से दी।उन्होंने कहा कि युवा वर्ग में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति का एक अहम कारण पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से बदलता कल्चर है। आज समाज में भौतिकता हावी होती जा रही है। आज एकल परिवार की वजह से बच्चों को वह प्यार व संस्कार नहीं मिल पाते जिनकी अपेक्षा होती है ऐसे में एकाकीपन को दूर करने के लिए बच्चे मोबाइल,इंटरनेट आदि से जुड़ जाते हैं साथ ही नशे की लत के शिकार भी हो जाते हैं। वर्तमान समय में युवाओं को माता-पिता के प्रेम व नैतिक शिक्षा की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि नशा मुक्ति अभियान से अधिक से अधिक लोग जुड़े ताकि नशा मुक्ति का संदेश जन-जन तक पहुंचाया जा सके।
महाविद्यालय के निदेशक श्री रजनीश शर्मा ने छात्र-छात्राओं को संदेश दिया कि काफी संख्या में युवा नशा कर रहे हैं ।उन्हें जागरूक होना होगा। उन्होंने कहा कि गांव-गांव घर-घर में लोग व्यसनों से मुक्त हो इसके लिए हम सब कटिबद्ध हो। नशा मुक्ति अभियान को जन आंदोलन का रूप दिया जाना आज जरूरी है। उन्होंने कहा कि नशे के सेवन से आज घर परिवार प्रभावित है तथा इसका सबसे बुरा प्रभाव भावी पीढ़ी पर पड़ रहा है ।अगर एक परिवार में कोई एक व्यक्ति भी नशाखोरी करता है तो सिर्फ वही प्रभावित नहीं होता बल्कि इसका नतीजा पूरा परिवार भोगता है।
एंटी ड्रग सेल की नोडल अधिकारी डॉक्टर अलका तोमर ने भी छात्र-छात्राओं को जागरुक करते हुए कहा कि बच्चों को घर से ही नैतिक मूल्यों का पाठ पढ़ना चाहिए। अगर कोई यह सोचकर किसी किस्म का नशा करता है कि उसके बच्चे इससे बचे रहे तो वह बिल्कुल गलत है। गलत संगत घर के बाहर मिलती है लेकिन गलत संस्कार घर से भी मिल सकते हैं। सर्वप्रथम हमें अपनी मानसिकता बदलनी होगी तभी सुधार की उम्मीद की जा सकती है। रोजाना ऐसे दर्जनों परिवार मिल जाते हैं जो अपने बच्चों के नशे की दलदल में फंसे जाने का दुखड़ा रोते हैं। कहीं तो लाखों रुपए काउंसलिंग सेंटरों पर बहाकर भी बच्चों को इस दलदल से निकालने में सफल नहीं हो रहे हैं। ऐसे परिवारों का दुख दर्द समझ कर हर वर्ग को नशे का बहिष्कार करना चाहिए।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के प्राध्यापकगण डॉक्टर एस के महला, डॉक्टर सुरजीत सिंह, डॉक्टर सुनीता कुमारी, डॉक्टर इंदु अरोड़ा, डॉ रीमा सिन्हा, डॉक्टर सुष्मिता पंत, डॉक्टर पारूल शर्मा ,श्रीमती सविता सैनी ,रचना सैनी , मृदुला कश्यप, दीपिका, अंजना सैनी, डॉक्टर दीपक डोभाल, मोनिका वर्मा, श्री विकास शर्मा, श्री अभय कुमार, मोहम्मद शाहिद,डॉक्टर अफजल मंगलौरी आदि का योगदान रहा।
इस अवसर पर शीतल, वर्णिका, आदित्य ,नेहा ,फैजान रजत ,वैशाली, राही,पूजा, दिशा गुलरेज ताजीम आदि छात्र छात्राएं मौजूद रहे।